भूत की कहानी :- खंडहर की खौफनाक दास्तां

राजस्थान के एक छोटे से गाँव में, एक पुरानी और विशाल हवेली खड़ी थी। इस हवेली को गाँव के लोग "भूतिया हवेली" के नाम से जानते थे। यह हवेली अपने आप में एक रहस्य थी, और इसे लेकर कई तरह की कहानियाँ प्रचलित थीं। गाँव में बड़े-बुजुर्ग कहते थे कि यहाँ एक भूत का वास है। यह भूत कोई साधारण भूत नहीं था, बल्कि यह एक समय में इस गाँव का सबसे नेक इंसान हुआ करता था। उसकी आत्मा आज भी हवेली में भटकती है और गाँववालों की रक्षा करती है।


सालों पहले, इस हवेली में राघव नामक एक धनी व्यापारी अपनी पत्नी, सविता, और बेटी, पायल, के साथ रहता था। राघव का स्वभाव बहुत ही नेकदिल था। वह गाँव के गरीबों की मदद करता, बीमारों का इलाज कराता, और बच्चों को शिक्षा दिलवाता। राघव के दरवाजे से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता था। उसकी पत्नी सविता भी उतनी ही दयालु और संवेदनशील थी। पायल तो जैसे मासूमियत की मूर्ति थी, उसकी हँसी से घर गुलजार रहता था।


राघव की हवेली गाँव की सबसे सुंदर और विशाल हवेली थी। बड़े-बड़े दरवाजे, ऊँचे-ऊँचे छज्जे, और शानदार बगीचे इस हवेली की शोभा बढ़ाते थे। हवेली के अंदर एक बड़ा सा हॉल था, जहाँ राघव अक्सर गाँववालों के साथ बैठकें करता था। हॉल की दीवारों पर पुराने चित्र लगे थे, जो हवेली के इतिहास की गाथा बताते थे। हवेली का बगीचा भी बहुत सुंदर था, जहाँ तरह-तरह के फूल खिले रहते थे और पायल वहाँ खेलती रहती थी।


लेकिन एक रात, इस सुखी परिवार की जिंदगी में एक भयानक मोड़ आया। गाँव में डाकुओं का हमला हुआ। डाकू लूटपाट करने आए थे और उनकी नजर राघव की हवेली पर थी। राघव ने अपनी पत्नी और बेटी को बचाने की कोशिश की, लेकिन डाकुओं की संख्या ज्यादा थी। डाकुओं ने राघव को बेरहमी से मारा और सविता तथा पायल को भी नहीं छोड़ा। मरने से पहले, राघव ने अपने खून से सनी जमीन पर कसम खाई कि वह उन डाकुओं को सजा दिलवाएगा, चाहे उसे भूत ही क्यों न बनना पड़े।


राघव की आत्मा इस दुनिया को नहीं छोड़ पाई। वह भूत बनकर हवेली में बस गया। अब हवेली का हर कोना उसकी आत्मा के दुःख और दर्द का गवाह था। राघव का भूत केवल उन लोगों को सताता था जो बुरे काम करते थे। अगर कोई हवेली में चोरी करने या किसी बुरे इरादे से आता, तो राघव का भूत उसे सजा देता। कई बार लोगों ने उसे हवेली के खंडहर में रोते हुए सुना, मानो वह अपनी पत्नी और बेटी की याद में दुःखी हो।


गाँव के लोग राघव के भूत को भली-भाँति जानते थे। वे जानते थे कि राघव का भूत कभी किसी अच्छे इंसान को नुकसान नहीं पहुंचाता। एक बार, गाँव का एक बच्चा हवेली के पास खेलते-खेलते खो गया। सब लोग परेशान थे और बच्चे की तलाश कर रहे थे। तभी किसी ने देखा कि बच्चा हवेली के पास सुरक्षित खड़ा था। बच्चे ने बताया कि एक अंकल ने उसे वहाँ तक पहुंचाया। सबने समझा कि वह भूत राघव ही था जिसने बच्चे की मदद की थी।


गाँव में एक बार फिर डाकुओं का आतंक बढ़ने लगा। इस बार डाकुओं ने गाँव के मंदिर के दान-पात्र को लूटने का प्रयास किया। रात के समय जब डाकू मंदिर में घुसे, तो अचानक हवेली से एक डरावनी आवाज आई। डाकू घबरा गए और जब उन्होंने पलटकर देखा, तो एक धुंधली आकृति उनकी ओर बढ़ रही थी। यह राघव का भूत था। उसने उन डाकुओं को ऐसा डराया कि वे भाग खड़े हुए। सुबह जब गाँववाले मंदिर पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि दान-पात्र सुरक्षित था और वहाँ एक पत्र पड़ा था, जिसमें लिखा था, "राघव की आत्मा ने फिर से गाँव की रक्षा की।"


राघव की आत्मा गाँववालों के लिए हमेशा एक संरक्षक की तरह रही। उसकी नेकदिली और सहायता की भावना मरने के बाद भी बनी रही। एक बार गाँव में सूखा पड़ गया। फसलें खराब हो गईं और लोग भूख से परेशान हो गए। गाँववालों ने राघव की हवेली के पास एक यज्ञ करने का निर्णय लिया, ताकि वे देवताओं को प्रसन्न कर सकें और बारिश हो सके। यज्ञ के दौरान हवेली में एक अद्भुत घटना घटी। लोगों ने देखा कि हवेली के ऊपर बादल छा गए और थोड़ी ही देर में जोरदार बारिश शुरू हो गई। सबने समझा कि यह राघव की आत्मा का आशीर्वाद है।


हवेली में कई रहस्यमय घटनाएँ होती रहीं। एक बार, गाँव में एक तांत्रिक आया, जिसने दावा किया कि वह राघव की आत्मा को हवेली से निकाल सकता है। तांत्रिक ने हवेली में जाकर अपने तंत्र-मंत्र का प्रयोग करना शुरू किया, लेकिन अचानक हवेली के दरवाजे अपने आप बंद हो गए और तांत्रिक को बाहर निकाल दिया गया। तांत्रिक ने गाँववालों को बताया कि राघव की आत्मा बहुत शक्तिशाली है और वह केवल उन्हीं के साथ रहती है जो उसके नेक कामों को याद रखते हैं।


कई सालों बाद, गाँव के लोगों ने मिलकर राघव और उसके परिवार की आत्मा की शांति के लिए एक बड़ा यज्ञ करवाया। इस यज्ञ में गाँव के सभी लोग शामिल हुए और सबने राघव के परिवार के लिए प्रार्थना की। यज्ञ के बाद, लोगों ने देखा कि हवेली में अब किसी भी प्रकार की अजीब घटनाएँ नहीं होतीं। माना जाता है कि राघव और उसके परिवार की आत्माओं को शांति मिल गई थी और वे अब स्वर्ग में चैन से थे।


राघव की कहानी हमें सिखाती है कि भले ही वह भूत बन गया हो, लेकिन उसकी नेकदिली और अच्छाई कभी खत्म नहीं हुई। वह हमेशा अच्छे काम करता रहा और अंततः उसे शांति मिली। इस कहानी से हम यह भी सीख सकते हैं कि नेक इंसान चाहे किसी भी रूप में हो, उसकी अच्छाई कभी व्यर्थ नहीं जाती। राघव की आत्मा ने हमेशा गाँववालों की रक्षा की और उनकी सहायता की। भूतिया हवेली की यह खौफनाक दास्तान आज भी गाँववालों के दिलों में जीवित है और उन्हें नेक कार्यों की प्रेरणा देती है।

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